दो मुखी रूद्राक्ष के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने की विधि – लाभ और सिद्व करने की विधि
दो मुखी रूद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव और शक्ति का स्वरूप् माना जाता है यह चंद्रमा के कारण उत्पन्न प्रतिकूलता के लिए धारण किया जाता है यह रूद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ और कल्याणकारी माना गया है ा दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से सौहार्द्र लक्ष्मी का वास रहता है | इससे भगवान अद्र्वनारीश्वर प्रसन्न होते है, उसकी उर्जा से सांसारिक बाधाएं दूर होती है तथा वैवाहिक जीवन सुखी रहता है | शिवमहापुराण के अनुसार दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से ब्रहम हत्या और गौ हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है | दो मुखी रूद्राक्ष पर भगवान चन्द्र देव का आशीर्वाद निहित होता है, इसलिए इसे धारण करने वाले जातक के मन को चंद्रमा जैसी शीतलता मिलती है | मन सदैव शांत रहता है |
दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने के लाभ:-
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से दाम्पत्य जीवन में खुशियाॅ मिलती है
- पति–पत्नी में आपसी कलह को दूर करने में भी दो मुखी रूद्राक्ष को लाभकारी माना गया है
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने वाले जातक के घर में धन की कभी कमी नही रहती है
- दो मुखी रूद्राक्ष शारीरिक बिमारियों में, ह्रदय, फेफड.ा मस्तिष्क, गुर्दा, नेत्र तथा मोटापा रोग दूर करने में लाभकारी माना गया है
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से पेट की समस्या, खून की कमीण् गैसए पीलिया, रक्त संबंधी बिमारी धीरे–धीरे समाप्त हो जाती है
- अपने कार्य क्षेत्र में सम्मान प्राप्ति हेतु दो मुखी रूद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए
- यदि आप कर्ज से पीडि.त है तो ऐसे में दो मुखी रूद्राक्ष घारण करने से आपके जीवन में नई खुशियाॅ ला सकता है
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से कर्ज से मुक्ति पाने के द्वार खुलने लगते है
- दो मुखी रूद्राक्ष उपरी बाधाओं को भी दूर करने में सक्षम माना गया है ा इसे धारण करने से भूत–प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियों दूर होती है
- यह सभी जानते है कि शिव सदैव शक्ति युक्त होते है, अतः दो मुखी रूद्राक्ष स्त्रियों के लिए भी उपयोगी है ा
- ऽसंतान जन्म, गर्भ रक्षा तथा मिर्गी रोग के लिए भी उपयोगी माना गया है
- धनु, कन्या, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालो के लिए दो मुखी रूद्राक्ष विशेष लाभप्रद होता है
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनो का आशीर्वाद प्राप्त होता है
रूद्राक्ष को सिद्व करने की विधि:-
सिद्व रूद्राक्ष गले में धारण करने से इसका प्रभाव सौ गुण अधिक बढ. जाता है ा इस लिए आप कोई भी रूद्राक्ष धारण करने से पहले इसे सिद्व अवश्य करें ा इसे सिद्व करने के लिए रूद्राक्ष की विधिवत पूजा के साथ–साथ उं नमः शिवाय मंत्र का पांच हजार संख्या में जप करें और अंत में हवन करें ा हवन में अधिक से अधिक आहुतियाॅ उॅ नमः शिवाय मंत्र का दें हवन के अंत में 21 बार हवन के उपर से घुमाये व हवन की विभूति से तिलक करें
दो मुखी रूद्राक्ष को धारण करने की विधि:-
सबसे पहले रूद्राक्ष को दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल के मिश्रण स्नान करायें ा इसके पश्चात शुद्व जल से स्नान करायें ा अब रूद्राक्ष को गंगा जल से स्नान करायें ा इसके उपरांत रूद्राक्ष को पूजास्थल पर लाल कपड़ा बिछा कर रख दें ा अब दिपक प्रज्वलित करें और रूद्राक्ष को कुमकुम से तिलक करें, पुष्प, अक्षत अर्पित करें तथा मीठे का भोग लगाये
रूद्राक्ष पूजन के पश्चात हाथ में जल लेकर परमपिता परमेश्वर से इस प्रकार आग्रह करेे:- हे परमपिता परमेश्वर मेैं !अपना नाम! गोत्र !अपना गोत्र बोले! दो मुखी रूद्राक्ष को अभिमंत्रित करने हेतु उॅ नमः शिवाय मंत्र का जाप कर रहा हूॅ, मुझे इस कार्य में सफलता प्रदान करें, मेंरे कार्य में किसी प्रकार की गलती हो गयी हो तो मुझे क्षमा करें ा ऐसा कहते हुण् ज्ल को नीचे जमीन पर छोड़ दें ा अब भगवान शिव का अधिक से अधिक संख्या में उॅ नमः शिवाय मंत्र का जप करें
मंत्र जप के बाद शिव मंदीर जाकर शिवलिंग की विधिवत पूजा करें और रूद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श करा कर शिवलिंग के समक्ष ही रूद्राक्ष को धारण करें