श्री सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् | Siddha Kunjika Stotram | Siddha Kunjika Stotram PDF
श्री सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् | Siddha Kunjika Stotram
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। इस स्तोत्र का पाठ मनुष्य के जीवन में आ रही समस्या और विघ्नों को दूर करने वाला है। इस में माता की सभी रूपों की अस्तुति वर्णित है और इस स्रोत्र के बिना सप्तशती पाठ का फल आधा माना जनता है | ऐसा उल्लेख सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् के पाठ में वर्णित है |
what is siddha kunjika stotram ? (क्या है सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् ?)
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ||
॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥इति मन्त्रः॥
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥२॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥३॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥४॥
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥५॥
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥६॥
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥७॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥८॥
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
॥ॐ तत्सत्॥
Siddha Kunjika Stotram का पाठ कैसे करे ?
सिध्कुंजिका स्रोत्र का पाठ नित्य दिन दैनिक क्रिया से निवृत हो किया जाना चाइये | हमारे शास्त्र में शुद्धता और शुद्धता को बहुत महत्वा दिया जाता है | अतः जातक को शारीरिक और मानशिक दोनों शुद्धता का ध्यान रखना चाइये |सिध्कुंजिका स्रोत्र का पाठ लाल आसन पे बैठ कर करना चाइये और अगर साधक के पास लाल वस्त्र हो तो और भी अच्छा उसे पहन कर पूजा या पाठ करना चाइये |
पाठ के लिए दिशा कौन सी हो ?
पाठ के लिए दिशा उत्तर या पूर्ब मुख रख कर सकते है
how many times to read siddha kunjika stotram ?
(कितनी बार पाठ कर सकते है सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् की ? )
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् का पाठ एक दिन में दो बार किया जा सकता है | एक तो शुबह 4 से 6 के बीच में और एक शंध्या 6 बजे के बाद किया जा सकता है |
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् का पाठ नवरात्री(Navratri 2020) में विशेष फलित होता है |
Benefits of Siddha Kunjika Stotram
(सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् पाठ से क्या लाभ होता है ?)
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् पाठ से धन सुख शांति और माँ की अशीम कृपा प्राप्त होती है , अतः सभी माता के भक्तो को सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् का पाठ निष्काम भावना के साथ करना चाइये | आप लोगो पर माँ अपनी कृपा बनये रखे जय माता दी |
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